Monday 18 March 2019

Holi festival

Holi festival



असली होली किसे कहते है How to Celebrate the Holi Festival
रंगों का त्यौहार – होली, कब और क्यों इसकी शुरूआत हुई?

नमस्कार दोस्तो आज हम जानेंगे होली के बारे में
इस ब्लॉग को पूरा पढ़े ओर जाने holi कैसे खेली जाती है

रंगों का त्यौहार – होली Holi festival

होली वसंत ऋतु में मनाये जाने वाला हिंदुओं का सबसे प्रसिद्ध त्यौहार है। यह एक रंगों का त्यौहार हैं जो जीवन में रंगों का क्या माहत्व है, उसको बताता है। वैसे जीस प्रकार से दिवाली बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है ठीक उसी प्रकार से होली का त्यौहार भी बुराई पर अच्छाई को दर्शाता है। देखा जाए तो त्यौहार कई प्रकार से मनाया जाता है। Holi में रंगों तथा फूलों से जश्न मनाने की प्रथा है। होली भारत में दिवाली के बाद सबसे ज्यादा मनाये जाने वाला त्यौहार है। यह दो दिवसीय त्यौहर हैं। इसके पहले दिन होलिका दहन किया जाता है और दूसरे दिन रंगों से होली खेली जाती है जिसको धुलेंडी नाम से भी जाना जाता है। भारत में कई जगह यह त्यौहर एक हफ्ता से भी ज्यादा मनाया जाता है जैसे – ब्रज और मथुरा की होली। Holi से जुड़ी कई सारी प्रथाये हैं लेकिन इसका मुख्य मकसद सिर्फ एक ही है कि आपसी लड़ाई-झगड़े को भूलकर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के दिलों में अपने लिए प्रेम भावना जागृत करना।

वैसे देखा जाये तो Holi को लेकर लोग अपने अपने तर्क देते रहते हैं। एक तर्क यह भी है कि होली शब्द “होला” शब्द से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ यह होता है कि नई और अच्छी फसल पाने के लिए भगवान की पूजा करना। इसी तरह होलिका दहन का अर्थ यह है कि जो भगवान के प्रिय व्यक्ति होते है और उनमें विश्वास रखते हैं उनकी भगवान रक्षा अवश्य करते हैं। इसी प्रकार जो भी व्यक्ति राक्षस प्रवृति के होते हैं उन्हे भगवान दंडित करते हैं।

होली (Holi) का इतिहास और महत्व

होली का पर्व अपनी  पारंपरिक और सांस्कृति मान्यताओं की वजह से मनाये जाने वाला हिंदुओं का सबसे पुराना त्यौहार है। इसके बारे में कई पवित्र ग्रंथों जैसे – वेद, पुराण, और धार्मिक पुस्तकों में जिक्र मिलता है। Holi के बारे में एक कथा प्रचलित है जो कि प्रहलाद और उसके पिता हिरण्याकश्यप और  हिरण्याकश्यप की बहन होलिका से जुड़ी है। बहुत समय पहले प्राचिन काल में हिरण्याकश्यप (राक्षस राजा) नामक राजा राज्या करता था। उसका एक पुत्र था जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था और उसकी एक बहन होलिका थी। एक बर हिरण्याकश्यप ने बहुत समय तक भगवान ब्रह्मा की तप किया। उसके बाद भगवान ब्रह्मा ने उसे वरदान दिया। इस वरदान से वह बहुत अधिक शक्तिशाली बन गया। इसके बाद तो हिरण्याकश्यप बहुत से लोगों पर अत्यचार करने लगा और लोगों को कहने लगा कि मेरी पूजा करों आज से मैं ही भगवान हूं। उस समय बहुत से लोग कमजोर और डरे हुए थे। उन लोगों ने उसका अनुसरण करने लगे लेकिन उसका बेटा उसके फैसले से असहमत था। वह अपने पिता को भगवान मानने से इंकार कर दिया और कहा कि केवल एक ही भगवान को मैं मानता हूं वह है श्री विष्णु। इसके बाद तो हिरण्याकश्यप ने अपने पुत्र पर काफी अधिक अत्याचार कियें लेकिन प्रहलाद को भगवान के प्रताप से कुछ नहीं हुआ। अंत में हिरण्याकश्यप ने अपने पुत्र को दंडित करने के लिए अपनी बहन से मदद मांगा। इसके बाद हिरण्याकश्यप की बहन होलिका ने प्रहलाद को मारने के लिए एक योजना बनाई। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था तो उसने इसी के अनुसार प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई। इसका परिणाम यह हुआ कि होलिका तो जल गई लेकिन प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। फिर इसके बाद हिरण्याकश्यप बहुत अधिक गुस्सा हुआ और अपने पुत्र को मारना चाहा लेकिन भगवान विष्णु उसी समय प्रकट हो गये और हिरण्याकश्यप का वध कर दिया। इस कहानी से ये यह पता चलता है कि जो भगवान पर विश्वास करते हैं और अच्छा आचरण करते हैं भगवान उसकी मदद अवश्य करते है। उसी समय से यह त्यौहार होली के रूप में मनाया जाता है।

होली मनाने का एक कारण भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है। भगवान श्री  कृष्ण ने मथुरा और वृंदावन में बहुत सारी गतिविधियां तथा रासलीला की है और इसमें Holi भी एक माहत्वपूर्ण कड़ी है। इतिहास के अनुसार यह कहा जाता है कि होली का त्यौहार राधा और श्री  कृष्ण के समय से शुरू हुआ है। भगवान श्री कृष्ण ने मथुरा में लठमार होली खेली थी तथा Holi से संबंधित कई सारी लीलाएं की थी जिसकी वजह से होली का त्यौहर मथुरा में बहुत ही धुम धाम से मनाया जाता है

असली भगवान कौन है? देखिये इस वीडियो में

दोस्तो त्योहार खुशियो का प्रतीक होता है आजकल त्योहार पैसे वालो का ही रह गया गरीब व्यक्ति का नही ओर अगर हम शास्त्रो अनुकूल साधना करने से ही खुशिया मिलती है शास्त्र अनुकूल साधना हम जब तक नही करेंगे तब तक कोई लाभ नही होगा और अक्सर देखा जाता है कि लोग त्योहारों की आड़ में अपनी दुश्मनी निकाल जाते हैं गलत रंगों का प्रयोग करके दुश्मनी निकालना जी उसके बाद में सामने वाले की जिंदगी बर्बाद हो जाती है रंगों में कई तरह की मिलावट होती है जिससे कि हमें शारीरिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है और ऐसी कई तरह की बीमारियां में हो जाती है तो कि कैंसर भी हो सकता है तो दोस्तों ऐसे चोर को क्या मतलब जो हमें खुशियों के बदले नुकसान दे जाए हर त्योहार में दुश्मनी निकालने वाले लोग होते हैं जो कि हमारे दोस्त बनकर हम से दुश्मनी निकाल लेते है दोस्तों आइए जानते हैं असली होली कैसे मनाते हैं


Holi festival कैसे मनाए देखिये वीडियो में

आपने साधु-संत बहुत देखे होंगे और उनके सत्संग भी सुने होंगे लेकिन संत रामपाल जी महाराज एकमात्र ऐसे संत हैं पूरे विश्व में जो कि शास्त्रों से प्रमाणित ज्ञान बताते हैं जिस प्रकार हम विद्यालय में पढ़ाई करते हैं और हमारी पढ़ाई तभी सार्थक होती है जब हम दिए गए सिलेबस से पढ़ाई करके परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं अगर हम उस सिलेबस से पढ़ाई नहीं करेंगे और पूरा साल भर ऐसे ही रहेंगे तो हम परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो जाएंगे इसी प्रकार दोस्तों मनुष्य जीवन भी एक परीक्षा के समान ही है जिसे हमें भक्ति कर कर मनुष्य जीवन को पूरा करना होता है दोस्तो भक्ति तो सभी करते हैं लेकिन फर्क इतना है कि शास्त्र अनुकूल साधना कैसे करनी है और कैसे होती है या आज तक हमें बताने वाला कोई नहीं मिला लेकिन आज आपके लिए भी मौका है और जो लोग यह जानना चाहते हैं कि शास्त्र अनुकूल साधना कैसे की जाती है और कैसे होती है तो उनके लिए भी अच्छा मौका है आज संत रामपाल जी महाराज सभी ग्रंथों से सच्चाई और प्रमाण दिखाकर लोगों को सच्चा ज्ञान बता रहे हैं और इसी ज्ञान को समझकर लाखों लोगों ने अनेक प्रकार की बुराइयां त्याग दी है और वह स्वस्थ मानव समाज तैयार भी कर रहे हैं संत रामपाल जी महाराज दहेज मुक्त विवाह नशा मुक्त भारत से कई तरह के अभियान है जो कि सरकार की पूरी नहीं कर पाती है वह संत रामपाल जी महाराज सहज रूप से कर रहे हैं और वह सिर्फ इसलिए कि उन्होंने ज्ञान को आधार बनाकर लोगों को समझाया है कि असल में जो हम कर रहे हैं वह क्या है और हमें करना क्या चाहिए दोस्तों आपसे मेरी एक ही गुजारिश है कि संत रामपाल जी महाराज का सत्संग आप सुने यूट्यूब पर जाकर देख सकते हैं आप फेसबुक पर देख सकते हैं आप सत्संग देखें और समझें कि संत रामपाल जी महाराज क्या कह रहे हैं और हमें किस तरह से मनुष्य जीवन जीना चाहिए इससे अनुमान लगा लेंगे की असली त्यौहार कैसे मनाया जाते हैं

मानुष जन्म पाए कर जो नहीं रटे हरि नाम जैसे कुआं जल बिना बनवाया क्या दोस्तों मनुष्य जन्म में मिलता है भगवान की भक्ति करने के लिए लेकिन हम भक्ति ना करके मनुष्य जीवन को व्यर्थ कर रहे हैं

Note:- holi के दिन दुश्मनी न निकले पूर्णप्रमात्मा की भक्ति भक्ति करके मनुष्य जीवन को रंगीन बनाए

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धन्यवाद 

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